दोस्तो मैं सिद्धेश रत्नमाला मदन ,एक विद्यार्थी .मेरे साथ जैसे “सब के साथ कुछ अच्छा बुरा होता रहता है “वैसे ही मेरे साथ भी रोज होता रहता है।
ऐसे ही एक बार गलती से एक बहुत अच्छी चीज हुई , वो थी मेरे दोस्त जो एक संस्था में है उन्होंने एक जानकारी भेजी वह थी
एक पार्ट टाइम सायन्स एज्युकेटर चाहिए आसान विज्ञान इस ग्रुप के प्रोजेक्ट के लिए जो बी . एस. सी ग्रड्यूएट या फिर 12वी सायन्स किया हो और उसे सीखाना पसंद हो ।
फिर मैंने सोचा क्यों ना मैं कोशिश करू ?
फिर मैंने उसमे दिए मेल आय . डी. पे अपनी जानकारी भेजी।फिर निखिलेश सर जो फिलहाल बी.ए. आर.सी. में काम कर रहे है उन्होंने मुझे संपर्क किया और मिलने बुलाया ।
मिलने पर मुझे पता चला वह एक बढ़िया उपक्रम चलाते हैं जो था “आसान विज्ञान ” जिसमें विज्ञान को बच्चो के सामने बढ़ी सीधी तकनीक से सिखाना। पर सिर्फ सिखाना
नही बल्कि सिखाते सिखाते बच्चो को उनकी निजी जिंदगी, समाज इन सब में उनकी सहायता करना ।फिर मैंने भी कहा कि “मैं भी करूँगा।”
फिर सर से पता चला वह तुर्भे जो कि नवी मुंबई की तरफ है और जो गोवंडी जहाँ मुम्बई का डंपिंग ग्राउंड है , वहाँ हम काम करते है और तरह तरह के नए उपक्रम भी करते है।
इस तरह मौका आया शुक्रवार , 10 मई 2019 को गोवंडी जाने का …जरसल मैं जब मेरी कॉलेज की पढ़ाई करता था तब एन. एन. एस. के एक उपक्रम में ऐसे
ही बच्चों को सिखाता था जो रस्ते पे रहते थे और अभी मैं यही बात से खुश था कि फिर से मैं यह करनेवाला हूँ।वह एक बस्ती थी ।
पहले वहाँ मुझे ऋतिक नाम के लड़के से मिलना था जो खुद भी वहाँ
पहले सिखाता था।ऋतिक मिला पर बच्चे अभी तक नही थे फिर ऋतिक ने एक आवाज लगाई और एक – एक कर सब बच्चे आना शुरू किए।कुल 11 बच्चे आये उस दिन ।
पहले तो हमने हम जिस जगह पर बैठने वाले थे वहाँ की साफ-सफाई की। बात एक अच्छी थी कि बच्चे बहुत खुश थे कि अब ऐसे कोई तो उनके लिए
आएगा।इसी खुशी को उन्होंने व्यक्त किया कोल्ड्रिंक और कुछ खाने के चिप्स वगैरे मँगवाकर।अब हमने हमारी क्लास की शुरुवात की।
पहला दिन होने के कारण मैंने सोचा आज की जो ये क्लास है वह क्यों ना पहचान औऱ एक दुसरे को जानने के लिए रखे।
तो हमने फिर उसी से शुरुआत की हमारे क्लास की…बच्चों को अपनी खासियत बताने कहा (अच्छी या बुरी दोनो बताओ )
और सचमुच बच्चो ने अपने सपने, अपनी, पसंद से लेकर यह भी कहा कि हा वह गाली भी देते है पर कम भी करना है ।
यह सब देख के सुन के मैं भी हैरान हुआ कि बच्चे कितनी ईमानदारी से अपनी बातें बता रहे है ।
फिर बच्चो को मैंने शिक्षा का महत्त्व भी बताया। फिर हमने एक फीडबैक (अभिप्राय देना) का भी राउंड रखा ।
जिसमे बच्चो को बताना था कि आज की क्लास कैसे थी और हमे क्या क्या सीखने मिला ।
पहले एक बच्चे ने बताया कि “हा हमे गाली नही देनी चाहिए”कुछ ने बोला “शिक्षा बहुत जरूरी है” ऐसे करके हर बच्चे बहूत सकारात्मक बाते
बताई जो सुनके मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
ऐसे हमारा एक घंटा खत्म होने आया फिर हमने गेम खेलने का सोचा और यह सुनके बच्चे तो खुशी के मारे उछलने लगे ।
फिर हमने एक खेल खेला जो था केमिस्ट्री से संबंधित। जिसमे बच्चे 3 ग्रुप में चले जाते है जो होते है :- सॉलिड (स्थायु) , लिक्विड (द्रव), गैस (वायु)।
फिर अगर जिसके उपर डाय हैं उसने पहले स्थायु बोला तो वह स्थायु वाले बच्चे को पकड़ेगा औऱ जब वह स्थायु वाले बच्चे की ओर जाएगा तब स्थायु वाला बच्चा वायु
बोलेगा फिर उसे वायु के बच्चे को पकड़ने जाना पड़ेगा।इस तरह बच्चो ने बड़े मजे से खेला और हमारी क्लास इसी पर आकर रुक गई ।
बच्चे तो और चाहते थे पर समय की सीमा के कारण हमे रुकना पड़ा। पर हा यह आगे भी चालू रहेगा दोस्तो..
तो ऐसे ही इसे पढ़ते रहे और जानते रहे कि क्या क्या होता है इस क्लास में…मिलते है अगले पोस्ट पे ….
पढ़ते रहे, कमेंट करते रहे…और हा दुसरो को भी शेअर करे…