दोस्तो,
नमस्ते
जैसे कि आपने देखा हमारी पिछली क्लास हमने खेल पे आके समाप्त की।
अब बारी थी हमारे दूसरे क्लास की। पर हुआ ऐसे की शुरुआत में ही हमे एक समस्या से जूझना पड़ा । समस्या ऐसी थी कि सेशन लेने के लिए जगह ही नही थी।
अब करे क्या ये सवाल उठ खड़ा हुआ।
तब आवाज आई कि “गार्डन है ना”…
फिर क्या हमें तो सेशन करना था कैसे भी , इसलिए हम चल पड़े गार्डन की तरफ।
वैसे तो दिन इतवार का था, जब बच्चे गार्डन मे खेलने आते है, पर हमारी बच्चेकंपनी बैठ गयी कुछ नई बाते सीखनी।
मुझे ये देख के बहुत अच्छा लगा। पिछले सेशन में मैंने बच्चो से “शिक्षा के महत्त्व” के बारे में बात की थी । अब सोचा उनसे ‘आरोग्य’ के बारे में बात करु।
फिर बच्चो से इस बारे मे चर्चा करते समय पता चला कि बस्ती में बीमारी के कारण भी बहुत समस्या है ।
उन्हें मैंने एक छोटी सी कहानी भी बताई की जब घर के किसी एक इंसान को भी अगर कोई भी बीमारी पकड़ लेती है तो उसका परिणाम कैसे घर के अलग हिस्से जैसे कि आर्थिक स्थिति, मानसिक स्थिति और परिवार के लोग इनपर होता है यह समझाया।
फिर अब बारिश का मौसम आने ही वाला था फिर हमने सोचा कि क्यों ना बारिश के मौसम जो बीमारियाँ होती है उनकी बात करे। सबसे मुख्य बीमारी जो बारिश मैं घर घर दिखाई देती है वह थी डेंग्यू-मलेरिया। पर इसी बीच एक और समस्या आ बैठी की गार्डन का समय ही खत्म हो गया और गार्डन बंद होने वाला था। फिर हम वहाँ से निकले। फिर हम जगह ढूँढ़ते ढूँढ़ते बस्ती में आ पहुँचे। वहाँ मैंने एक स्टेज देखा जो बस्ती के बीचों बीच था औऱ थोडी जगह गंदी थी पर मैंने ठान लिया कि यही पे सेशन करना है। पहले बच्चे भी ना बोले पर बाद में तैयार हो गए।हमने जगह साफ की और बैठ गए वही पे। यहाँ करने का मेरा उद्देश्य था कि बाकी जो बच्चे और बस्ती के लोग है वह भी देखे। इस तरह हमारी क्लास फिर से शुरू हुई।
फिर मैंने बच्चों को एक प्रोजेक्ट दिया कि तुम इस बीमारी की जानकारी ढूँढ़कर लाओगे और एक कार्डबोर्ड पर पेश करोगे।
उन्हें मैंने जानकारी हासिल करने के अलग अलग तरिके भी बताए।
बच्चे बढ़ी उत्साह से तैयार हो गए।
इस तरह इस क्लास को हमने यही पे समाप्त किया।
अब बस्ती मैं तो आ ही गये थे। फिर क्या बच्चों के घर भी वही थे। फिर मैंने सबके घर मे मिलना चालू किया। ऐसे थोड़ी बहुत बच्चों के घर वाले और बस्ती इन दोनों से मेरी थोड़ी नजदीक से पहचान हो गयी।
तो दोस्तो शुक्रिया फिर से यहाँ आके हमारी ये कहानी सुनने के लिए।
अब देखते हैं कि बच्चे प्रोजेक्ट बनवाकर लाते है कि नही।
जानने के जुड़े रहे हमसे…